हिंदी में वाक्य क्या होते हैं और कितने प्रकार के होते हैं

वाक्य के बारे में समझने के लिए हमें कुछ बातों को समझना अति आवश्यक होता है जैसे की —

1.  भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि/ अक्षर है। ( ध्वनि को phonem या स्वानिम भी कहा जाता है )

2.  भाषा की मौखिक रूप से सबसे छोटी इकाई अक्षर है। 

3.  भाषा की सबसे छोटी लिखित रूप से इकाई वर्ण है।  

4.  भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई शब्द है। जिसे रूपिम भी कहा जाता है 

5. भाषा की सबसे बड़ी इकाई वाक्य है। 

     वाक्य प्रकरण 

◆ दो या दो से अधिक शब्दों का वह मेल जिसमें पूर्ण रूप से अर्थ का बोध होता है उसे वाक्य कहते हैं

◆ शब्दों का व्यवस्थित रूप जिसमें विचारों का आदान-प्रदान होता है उसे वाक्य कहते हैं 

उदाहरण राधा पानी पी रही है

नोट = जब कोई शब्द वाक्य में प्रयोग होता है तो उसे पद कहा जाता है

जैसे 1. राम घर गया  – इस वाक्य में क्रमशः सभी शब्द पद कहलाते हैं क्योंकि यह एक वाक्य में प्रयोग हुआ है

2. राधा पानी पी रही है इसमें – इसमें भी वही नियम लागू होता है याद रहे जब भी कोई शब्द वाक्य में प्रयोग होता है तो वह शब्द पद कहलाता है

वाक्य के तत्व

1. सार्थकता – किसी भी वाक्य में सार्थकता होनी चाहिए जैसे राम पोहा खाता है इससे आप भली-भांति समझ सकते हैं कि राम पोहा खा रहा है वहीं यदि इस वाक्य को ऐसा लिखा जाए राम हापो खाता है तो इसमें आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है आप समझ गए होंगे सार्थकता क्यों जरूरी है

2. योग्यता  – शब्दों में योग्यता भी होनी चाहिए जैसे राम पोहा पिता है अब आपको पहले से ज्ञात है कि पोहा खाने वाली चीज है इसे पिया नहीं जा सकता

3. आकांक्षा  जैसे वह खाता । वह फल खाता है

4. आसक्ति निकटता – वह गधा———–ले गया वाक्य में निकटता हनी आवश्यक है उदा.  वह गधा ले गया हे। 

5. पदक्रम क्रमबद्धता – वाक्य में क्रमबद्धता होनी चाहिए जैसे सूर्य पूर्व दिशा से उदय होता है यदि इसे ही उलट फिर करके लिखा जाए जैसे सूर्य से दिशा उदय होता है

6. अन्वय / अन्विति (मेल) – इस उदाहरण से समझे राम और सीता गई सही क्या होना चाहिए राम और सीता गए

वाक्य के अंग

वाक्य के अंग दो प्रकार के होते हैं

1. उद्देश्य

2. विधेय

उद्देश्य-

1. वाक्य में इसके विषय में कुछ कहा जाता है उसे उद्देश्य कहा जाता है जैसे राम गया यहां पर राम उद्देश्य है

2. उद्देश्य के अंतर्गत कर्ता तथा कर्ता के विस्तार को शामिल करते हैं जैसे लंबे-लंबे बालों वाला लड़का चुपचाप बैठा है यहां पर लंबे-लंबे बालों वाला लड़का उद्देश्य कहलाता है और चुपचाप बैठा है विधेय।

इसमें बताइए कि उद्देश्य क्या है  – सदा हंसते वाले आप आज उदास क्यों हो ।

विधेय- 

– उद्देश्य के द्वारा इसके विषय में कुछ बताया जाता है उसे विधेय कहा जाता है

 जैसे – राम गया में गया विधेय है और राम उद्देश्य 

– प्रधानमंत्री मोदी जी भाषण दे रहे हैं यहां पर भाषण दे रहे हैं विधेय के अंतर्गत आएगा।

– 

वाक्य का वर्गीकरण

वाक्य का वर्गीकरण दो प्रकार से होता है जो अर्थ के आधार पर और रचना के आधार पर अलग-अलग होता है

• अर्थ के आधार पर – अर्थ के आधार पर वाक्य 8 प्रकार के होते हैं  जो इस प्रकार हैं

1. विधानवाचक वाक्य –  श्याम सुबह घर जाता है।

2. निषेधवाचक वाक्य – श्याम सुबह घर नहीं जाता है।

3. प्रश्नवाचक वाक्य – क्या श्याम सुबह घर जाता है ?

4. आज्ञावाचक वाक्य – श्याम सुबह घर आओ।

5. संदेहवाचक वाक्य – शायद श्याम सुबह घर जाता है।

6. इच्छावाचक वाक्य – श्याम सुबह घर जाए।

7. संकेतवाचक वाक्य – जब सुबह होती है तब श्याम घर जाता है

8. विस्मयसूचक वाक्य – अरे! श्याम सुबह घर जाता है।

1. विधान वाचक वाक्य ( विधि वाचक ) – जब वाक्य में किसी क्रिया में सामान्य रूप से करने या होने का बोध होता है तो उसे विधान वाचक या विधि वाचक वाक्य कहते हैं उदाहरण से समझते हैं

• राम घर गया ।

•वर्षा हुई ।

•रवि को लड़का हुआ ।

•राम कल जाएगा ।

•वह पागल हो गया हे।

2. निषेध वाचक वाक्य – वाक्य के जिस रूप से किसी प्रकार की नकारात्मकता या निषेध का बोध होता है उसे निषेध वाचक या नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं। जैसे – राम सुबह नहीं पड़ता है।

3. प्रश्नवाचक वाक्य जब वाक्य से किसी प्रकार के प्रश्न पूछने का बोध हो उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं इसमें प्रश्नवाचक चिन्ह ( ? ) का प्रयोग होता है जैसे क्या राम घर गया था ?,  जब प्रश्न पूछने के साथ ही नकारात्मकता का भी भाव आ जाए तो उसे प्रश्न वाचक नकारात्मक वाक्य कहा जाता है जैसे – राम घर क्यों नहीं गया था ?

4. आजा वाचक वाक्य के जिस रूप से किसी आजा आदेश निर्देश सलाह निवेदन प्रार्थना आदि का बोध होता है उसे आजा वाचक वाक्य आदेश सूचक वाक्य कहते हैं जैसे –  मेरे लिए एक गिलास पानी लाओ।

5. इच्छा वाचक वाक्य – वाक्य के जिस रूप से किसी प्रकार की इच्छा आशीर्वाद अभिशाप बधाई शुभकामना आदि का बोध हो उसे इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं जैसे-  • आपकी नौकरी लग जाए । 

• विश्व का कल्याण हो ।

• दोस्तो का नाश हो ।

• जन्मदिन की बधाई हो ।

• आपकी यात्रा मंगलमय हो ।

• विश्व का कल्याण हो ।आदि

6. संधि वाचक वाक्य – जिस वाक्य के रूप से किसी प्रकार का संदेह या संभावना का बोध हो उसे संधि वाचक वाक्य कहते हैं जैसे – 

• शायद आज वर्षा होगी ।

• हो सकता है कि कल मैं ना आऊं।

• रमेश के आने की संभावना है। 

7. संकेत वाचक वाक्य – जब वाक्य से किसी कार्य के होने या ना होने का प्रभाव दूसरे वाक्य पर देखा जाता है उसे संकेत वाचक वाक्य कहा जाता है यूं कहें तो संकेत करके बताना 

जैसे – 

• यदि मेहनत की होती तो सफल हो गए होते।

• यदि वर्षा होगी तो फसल अच्छी होगी।

• जब राम आएगा तब श्याम जाएगा।

8. विस्मयसूचक वाक्य – जिस वाक्य से आश्चर्य हर्ष दुख तिरस्कार घृणा संबोधन आदि का बोध होता है तो उसे विस्मय वाचक वाक्य कहते हैं 

जैसे – 

• अरे! पप्पू पास हो गया ( आश्चर्य )

• वाह! मजा आ गया ( हर्ष ) 

• हे राम! यह क्या हुआ ( दुःख )

• चल हट ! ( तिरस्कार )

• छी! कितनी गंदगी है ( घृणा )

• मित्रों! अच्छे दिन आएंगे। ( संबोधन )

इस प्रकार आपने देखा कि वाक्य अर्थ के आधार पर आठ प्रकार के होते हैं और सभी आठ प्रकार के कुछ उदाहरण हमने यहां पर देखें

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं –  

1. सरल वाक्य 

2. संयुक्त वाक्य 

3. मिश्र वाक्य

1. सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक उद्देश्य एक विधि तथा एक क्रिया समापिका होती है उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं जैसे –

• राम बाजार से सब्जी लाया। – आपको भली भांति ज्ञात है कि सभी शब्द वाक्य में प्रयोग होने पर पद कहलाते हैं तो यहां पर राम भी एक पद है और राम शब्द जो है उद्देश्य के अंतर्गत आएगा और बाजार से सब्जी यह विधि कहलाएगा वही लाया शब्द या पद यह क्रिया समापिका कहलाएगी

• माताजी नहा कर खाना पकाती हैं

• सुबह चिड़िया चाहती हैं

• मनोज दिनभर काम करता रहता है

विशेष सरल वाक्य में दो उद्देश्य योजक की सहायता से जुड़े हो सकते हैं लेकिन क्रिया हमेशा एक ही होती है जैसे – सीता उर्मिला मांडवी और श्रुतकीर्ति महल की ओर जा रही है इसमें चारों नाम उद्देश्य है जो और योजक से जुड़ी हुई है महल की और  ( विधेय  ) जा रही ( समापिका क्रिया )

योजक – ओर = की ओर

             और = एवं ,तथा

2. संयुक्त वाक्य – जब दो सरल वाक्य किसी दोजक की सहायता से जुड़े होते हैं तो उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं विशेष – संयुक्त वाक्य में हमेशा दो क्रिया होती है

जैसे – राम आया और मोहन गया। इसमें क्रमशः राम ( उद्देश्य ) आया ( विधेय ) और ( योजक ) मोहन ( उद्देश्य ) गया ( विधेय ) है ।

योजक – और,एवं,तथा,व,या,अथवा,किंतु,परंतु,इसलिए, तो,पर,बल्कि,लेकिन। 

लिए कुछ उदाहरण देखते हैं

1. मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना।

2. राम गरीब है लेकिन ईमानदार है ।

3. राम पढता है किंतु लगन से नहीं पड़ता है।

4. रवि को घर भेज दो या यहीं रहने दो ।

5. मोहन मेहनत करता है इसलिए सफल हो गया है।

3. मिश्र वाक्य जब किसी प्रधान वाक्य से कोई आश्रित वाक्य दो आश्रित वाक्य दोजक की सहायता से जुड़ते हैं तो उसे मिश्र वाक्य कहते हैं 

विशेष – इसमें आश्रित्ता जरूरी है

जैसे – 

1. जैसा करोगे वैसा भरोगे 

2. यदि वर्षा होगी तो फसल अच्छी होगी 

3. मोदी जी ने कहा कि अच्छे दिन आने वाले हैं

योजक –

कि

यदि — तो 

अगर — तो 

जो — सो वह 

जब — तब 

उतना —  जितना 

चूंकि  — इसलिए 

यद्यपि — फिर भी

उपरोक्त वर्णित योजकों की साथ में आने की संभावना रहती है। 

उतना ही को जितना खा  सको

जब जागो तभी सवेरा

अध्यापक ने कहा कि कल अवकाश रहेगा

इस प्रकार हमने वाक्य और वाक्य के प्रकार को समझा और  जाना है अब हम आगे वाक्य रूपांतरण के बारे में पढ़ेंगे या समझेंगे।

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